Type Here to Get Search Results !

पापा का नया चश्मा|Papa Ka Naya Chashma

एक बार की बात है, एक दिन राजू अपने पापा के साथ चश्मा दुकान पर गया। राजू के पापा की आँखों में समस्या थी और उन्हें नया चश्मा चाहिए था। दुकानदार ने राजू के पापा को विभिन्न चश्मों का विकल्प दिया।

राजू के पापा ने चश्मे की विभिन्न प्रकारों को पहनकर देखा। पहला चश्मा उन्हें बहुत छोटा लगा, और दूसरा बहुत बड़ा। तीसरा चश्मा अच्छा था, लेकिन उसका रंग उन्हें पसंद नहीं आया। इस तरह राजू के पापा ने बहुत सारे चश्मे परीक्षण किए, लेकिन कोई भी उन्हें सही नहीं लग रहा था।

बार-बार चश्मा बदलने से राजू का ध्यान अपने पापा की ख़़ूबीयों पर गया। वह देखा कि पापा ने एक चश्मे को अच्छे से देखने के लिए अपनी आँखों को बहुत जोर से तान दिया। राजू ने यह देखकर हंसने की कोशिश की, लेकिन वह अपने आप को रोक नहीं सका।

अचानक,

यह नया चश्मा राजू के पापा के लिए एक मज़ेदार अनुभव साबित हुआ। उन्होंने देखा कि लोग उनके चश्मे को देखकर हंसते थे, और वह खुद भी इस पर हंसते थे।

अगले दिन, राजू के पापा ने चश्मा पहनकर अपनी दोस्तों के साथ मेले में जाने का निर्णय किया।

मेले में पहुंचने पर, राजू के पापा ने चश्मे की धूपी को अपने दोस्तों के सामने नमूना बताने के लिए धमाल मचा दिया। वे चश्मे को तालों पर बजाकर डांस करने लगे और देखने वालों को हंसी के ठहाकों से भर दिया।

चश्मे की धूपी के बारे में जानकर, मेले के अन्य लोग भी चकित हो गए। वे राजू के पापा के पीछे खड़े हो गए और चश्मे के लिए तालियां बजाने लगे। राजू बहुत गर्व महसूस कर रहा था अपने पापा पर, क्योंकि वे सभी उनकी मज़ेदार प्रस्तुति से प्रभावित थे।

चश्मे का जादू मेले में फैल गया और राजू के पापा अब एक मशहूर चश्मा वाले बन गए। लोग उनके पास चश्मा लेने के लिए लंबी कतारों में खड़े हो गए। राजू के पापा को यह समझ में नहीं आ रहा था कि उनका आधार केंद्र कैसे चश्मे पर टिक गया।

फिर भी, राजू और उनके पापा ने इस अद्भुत परिवर्तन का आनंद लिया और मजेदार चुटकुलों और हँसी भरी बातचीत के साथ अपनी मेले कीय|

राजू और उनके पापा ने अपनी मेले की यात्रा के दौरान कई मजेदार घटनाएं भी अनुभव की। जब उन्होंने एक जुगलबंदी कार्निवाल के स्थान पर खेल देखा, तो राजू ने पापा को कहा, "पापा, चश्मा पहनकर यह खेलने की कोशिश करेंगे?" पापा ने हंसते हुए कहा, "वहां तक पहुंचने के लिए मेरी आँखों की आवश्यकता नहीं होगी, राजू। हम इसे बिना चश्मे के भी खेल सकते हैं।"

राजू के पापा का यह नया अवतार देखकर सब लोग बहुत हंसे। उनके पास आकर एक बच्चा ने कहा, "आपका चश्मा बहुत ही शानदार है। क्या यह चश्मा सभी को हंसी देने का जादू लाता है?" पापा ने मुस्कान करते हुए उसके प्रश्न का जवाब दिया, "नहीं बेटा, यह चश्मा सिर्फ मेरे चेहरे पर ख़़ूबसूरती और मस्ती लाता है। जद्दोजहद करने की जगह, हमें अपने अंदर के खुशी को बाहर निकालना चाहिए।"

चश्मे के साथ, राजू के पापा ने सभी को यह सिखाया कि हंसना, खुश रहना और अपनी ख़ुशी को बाँटना किसी किसी चीज़ के साथ होने वाली ख़ास गुणवत्ता नहीं होती है। राजू के पापा ने लोगों को यह बताया कि खुश रहने के लिए हमें अपनी खुशियों को खोजना और उन्हें साझा करना चाहिए, चाहे हमारे पास चश्मा हो या न हो। वे सभी लोगों को यह भी याद दिलाएं कि हँसी अच्छी सेहत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और इसे हमेशा स्वतंत्र रूप से उपयोग करना चाहिए।

एक टिप्पणी भेजें

1 टिप्पणियाँ
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.

Top Post Ad

Below Post Ad